Monday, July 11, 2022

चुमावन मैथिलि

आज चुमावन सिया रघुबर के 

नाऊन देत  हकार हो रामा  

चुमावन - हिंदी

 


तनी झुकी जइयो रघुबीर , सिया मेरी छोटी है 

झुकल झुकल देह दुखन लागे , दुखन सारा शरीर 

सिया मेरी छोटी है 


तनी झुकी जइयो रघुबीर , सिया मेरी छोटी है 


तुम जो हो दसरथ के बालक , हम जनक् के धी ,

सिया मेरी छोटी है | 

 

जनकपुर हे दूल्हा आयल हे 

आहे मदनमोहन छबि निरखु से 

हिये बीच सुन्दर हे 


माथे सोभनी मुकुट कान बीच कुण्डल हे 


गले 


जनकपुर हे दूल्हा आयल हे 

आहे मदनमोहन छबि निरखु से 

हिये बीच सुन्दर हे

बाहँ पर बाजूबंद हांथों में कनकन हे 

आहे दस  अंगूठी शोभे हाँथ ,सुन्दर मन लगे हे 

 पावों में कंकण पहिरि छुन बजे हे 

आहें सुन्दर वर मन मोहि लेते हमारो हे 

आहे आरती उतरी लिए सुनयना रानी , हिये बीच सुन्दर हे 

Friday, October 23, 2020

जननी जन्मदिन

 

है आज माँ  तुम्हारा जन्मदिन 

तुम क्या जानो है कितना मधुर दिन 


सात समंदर पार तुम रहती 

मेरे ह्रदय में हर पल तुम बस्ती   


जीवन दायनी हो , 

जीवन पथ प्रदर्शक हो 


जीवन के तपिश से बचती छाओं  हो 

गलती पे कान उमेठती  माँ हो 


हर पल याद आती तुम माँ हो। 


प्रभु तुमको सदा कमल की भांति 

हमारे जीवन के सरोवर में रखे 


जननी तुमको जन्मदिन की इस बेटी के तरफ से  बहुत शुभ कामना 

Wednesday, October 17, 2018

भगवती गीत - अष्टमी गीत


भगवती आरती मैथिलि

प्रबल ढंड प्रचण्ड भुजबल ,कोटि दानव वीर हे ,
नहिक देखि उपाय ततछन , ठाड़ भेली रणधीर  हे |


लय तुरंग - तुरंग चतुरंग,  सिगंह पिठिया सवार हे ,
दंत झल झल हसंती खल खल , शुब्र दन्त विदारी हे |


नाचो जोगिनी ताल दय दय , जोगिनी दल संग हे |
मुंड भल भल हंसती खल खल ,मातु आज बिराजी हे|


कतेक हाँथी हुँकार मारल ,कतेक धुरी मिलाओ हे ,
कतेक खड्गी चरण चापल , धरा पर छितरैल  हे |


गौरी पति कर जोरि गोचर  आदी  शंकर प्रणाम हे ,
दक्ष यक्ष  प्रतयक्ष भय भय दिए अभय वरदान हे| 

भगवती गीत - अराधना

हे भवानी दुख हरो माँ पुत्र अपना जान के ,
दे रहल छी कष्ट भारी बीच बीच में आणि के |


कहियो  ना चरण छोरब हाँथ राखब तान के |


हम  अहाँ  के पुत्र माता सुनु दुःख ध्यान से
शरण में अब लिया माता दुःख हरु सब जान के|

Wednesday, March 9, 2016

गुहार

एक गीत तुम गुनगुनाओ
मधुर प्रेम की इस तरह

भूल जाएँ सारे तमाशे देखना जिस तरह
समाधी मेरी हो जाये , मुक्त मैं हो जाऊँ
भूल के इस देह, समाज को, तुम में एक हो जाऊँ।

गीत तुम गाओ प्राण मेरे थिरकें
इस प्रपंच से ध्यान मेरा टूटे।